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Prajaa
विचारों की दरिया बहा अंदर तूफानों को उठा बनके समंद...
sanjay sathi
Kai sawal / कई सवाल
सूरज को उगते डूबते देखता लाल मेरे मन में भी उठते है...
sanjay sathi
Khudki khoj | खुद की ख़ोज
कभी खुद की गहराइयों में उतरे डर ने कभी उतरने ही नहीं द...
sanjay sathi