मन में जो भी आया सब लिख डाला
वक़्त जब भी मिला खुदको खंगाला
यादों के लू चले, कभी वर्षा की झड़ी
भाप बनके जिंदगी परीक्षा लेने खड़ी ।
परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हो
दिल में हरदम प्रीत का ही गीत हो
चले कितना भी नफ़रत का बवंडर
मुस्कुराते रहूंगा सदा बनके समंदर …..
शोर को साज में बदलना भी हुनर है
ख्वाहिंसे टकराती रहेंगी सबके अंदर
जलना लौ जैसे भी है जीने का जरिया
दिल को बनाके रखो मोम का दरिया…..
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