देखा है मौत को भी हांफ्ते- हांफ्ते
जिंदगी को देखा है कांपते- कांपते
आंसू ऐसे ही बहाए नहीं जाते…..
भंवर में फसी नाव निकाले कैसे साथी
हवाओं के रुख मोड़ना नही है आसां
तूफानों से ऐसे ही लड़े नही जाते….
बहुत कुछ छुपाके रखे हो अपने अंदर
जीते हो कैसे साथी लेके पूरा समंदर
मौजों पे ऐसे ही लहराए नही जाते…..
भूख प्यास से मुरझाए जा रही कलियां
देखा है लोगों को लोगों से जलते
बादलों को युहीं बरसाये नही जाते…..
असमानता का आकाश बड़ा हो रहा है
एक दुनिया रात को रंगीन होती है
गमों को पैमाने से युहीं छलकाये नही जाते ….
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