याद आती है हमको वह पल जब थे दीवाना
कंवल का खिलना वो भंवरों का गुनगुनाना
याद आती है…
फूलों का हंसना, छुईमुई का शर्माना
फिजा का इतराना हवाओं का महकना
याद आती है….
सूरज का ढलना, चांद का जलना
तारों का हंसना, देखा वह सपना
याद आती है….
तेरा वो धीरे- धीरे चलना, मेरे दिल का मचलना
उन राहों को तकना, तेरी गलियों में भटकना
याद आती है…..
जिन गलियों में तू चलती मुड़- मुड़ के देखा करती
मेरा गिर के संभलना वो तेरा खिलखिला के हंसना
याद आती है …….
हवाओं का महकना सावन का बरसना
आंखों से कुछ कहना बस तेरा समझना
याद आती है …..
दिल का धड़कना, हरदम तड़पना
दीदार को तेरे गलियों में बैठे रहना
याद आती है…..
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