तुमसे बातें क्यों करता हूँ ?
तुम मुझे ये पूछती हो , जब से तम्हें देखा है तब से तो दिल में एक तूफान सा चलने लगता है। इस तूफान को दिशा देने के लिए तुमसे बातें करता हूँ । यह तूफान तुम्हारे बिना मैं सम्भाल नही सकता । इसीलिए तुमसे बात करता हूं ।
तुम्हारे शब्द मेरे विचारों को निर्मल करते हैं,तुम्हारे वाणी मेरे वाणी को, कानों को । तुम्हारी आंखे मेरी दृष्टि को निर्मल करती हैं। इसलिए तुमसे बात करता हूँ ।
तुम्हें देखता रहता हूं। तुमसे बातें करने पर तुमको देखने पर मैं खुदको एकाग्र पाता हूँ , एक अनोखा आंतरिक ऊर्जा का अहसास करता हुं । तुम हंसती हो तो सारी दुनियां हंसती हुई लगती है जो मेरे धड़कनों में ऊर्जा का सृजनात्मक संचार करते हैं। इसीलिए तमसे बात करता हूं।
तुम्हारा प्रतिबिंब सारी दुनिया में मुझे दिखाई देने लगता है , तुम आईना की तरह हो मेरे लिए जिसमे खुदको जानता हूँ , समझता हूं । इसीलिए तुमसे बात करता हूं ।
एक सुकून है शांति है तुमको देखके बात करने से । इसीलिए मैं तुमसे बात करता हुं
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