Tu kahan gaya | तू कहाँ गया

सब कुछ शुन्य हो रहा 

 

मेरा दोस्त न जाने 

 

कहां जा रहा ?

 

इस दुनिया को छोड़ के 

 

सारे रिश्तों को तोड़ के 

 

हम सब से मुंह मोड़के 

 

क्यों जा रहा ….?

 

बहुत बार पूछता हूं 

 

वह मौन है बस मौन 

 

कहता हूं मत जा सुनता नहीं 

 

तुम सा दोस्त और है कौन ?

 

वह मौन है बस मौन 

 

यह तो उठता ही नहीं 

 

मेरा दोस्त तो ऐसे 

 

कभी रूठता ही नहीं 

 

कौन है यह कौन है ?

 

कैसा वह पल था ? 

 

कैसा वह दृश्य ?

 

आंखों के सामने …..

 

सब कुछ हो रहा अदृश्य 

 

सोचता हूं तुमको कैसे ?

 

हां कैसे हाथ मिलाऊंगा ?

 

गले से गले तुझे कैसे लगाउंगा  ?

 

मुझे उत्तर नहीं मिल रहा 

 

तेरे घर की दहलीज पर आकर 

 

कैसे तुझे  हां कैसे तुझे बुलाऊंगा ?

 

कुछ समझ नहीं आता ? 

 

मृत्यु से बात कर रहा हूं 

 

मरने सा एहसास कर रहा हूं 

 

तेरी मुस्कुराहट कहां से लाऊं ?

 

तुझसा दोस्त अब कहां पाऊं ?

 

खोज रहा हूं तुझको 

 

तुझे कैसे बुलाऊं ?

 

जिस आग में जल रहा है तू 

 

उसे कैसे बुझाऊँ ?

 

मूक दर्शक बन गए हैं 

 

तेरे इस अभिनय से 

 

सोचता हूं अब ….

 

तुझे कैसे गले लगाऊं ?

 

तेरे साथ मैं वहां जा न सका 

 

उस जगह जा न सका 

 

कोविड19 की बेड़ियां थीं

 

जहां मेरा दोस्त सदा के लिए सोया है …

 

उसे हरदम एहसास करूंगा देख कर  

 

मेरे दोस्त को जहां पर खोया है ………..

 

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