संग थे, उमंग थे
वर्षों के जंग थे
हास -उपहास के
दृग अविश्वास के……..
नए – नए राह थे
सागर अथाह थे
तितिर्षु था नया
रंग थे उत्साह के ……..
विचारों के शूल में
लोटे भी थे धूल में
सीखा हर भूल से
जुड़ा रहा मूल से……….
संग थे, उमंग थे
वर्षों के जंग थे
हास -उपहास के
दृग अविश्वास के……..
नए – नए राह थे
सागर अथाह थे
तितिर्षु था नया
रंग थे उत्साह के ……..
विचारों के शूल में
लोटे भी थे धूल में
सीखा हर भूल से
जुड़ा रहा मूल से……….
Sanjay Sathi is a contemporary writer & storyteller, based in India
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