Shankhnaad | शंखनाद

अग्नि सा प्रचंड तेज 

वायु सा प्रबल वेग 

धर धरा का धैर्य तू 

सूर्य सा प्रखर प्रखर 

स्वर्ण सा निखर निखर 

नीर सा बहाव हो 

मन में ना अभाव हो  

कर फ़तह शिखर शिखर 

निशान हो डगर डगर 

सजग हो तुम हर प्रहर

हो घोर गर्जना 

हर तरफ हो सर्जना

तू चले जिधर जिधर

विनाश का नाश हो 

मोह का न पाश हो

कर तू ऐसा शंखनाद

दूर हो हर विषाद 

 

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