हर तरफ लाशों ही लाशों का मंज़र है
कौन है ? वार करता सीने में खंज़र है ।
सारा मुल्क ढूंढ़ रहा है कौन है ? कातिल
पता चला हर शख्स है गुनाह में शामिल ।
सारे कत्लेआम खुलेआम भीड़ों के शह पे
कोई शख्स है ? जो चला कायदों के राह पे ।
दुआओं पे मर्ज़ के इलाजों का अब दौर चल रहा है
शमशान भी ख़ौफ खा रहा है ये क्या ? हो रहा है ।
सारा कायनात उसकी मार से झुझके घबरा रहा है
आखिर क्यों ? इस तरह वो हम सबको बुला रहा है।
हमे वक्त को समझना होगा हमको ये कुछ सीखा रहा है
हम क्या है ? क्या समझ बैठे आईना हमको दिखा रहा है।
हर तरफ अब सवाल ही सवाल नज़र आता है हमको
हर कोई यहां अपने नए तरीके से जवाब लिख रहा है ।
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