खुद को खोज तू हर रोज
कमतर न आंक ये समझ
कल क्या था?आज क्या है?
यह सवाल अंतस संभाल ।
दुनिया आईना है देख इसको
हो रहा है क्या? क्यों ? बवाल
ढूंढ़ जवाब जो है अंतस सवाल
होगा फिर सब कुछ कमाल ।
कुछ आगे कुछ पीछे कहेंगे
जीवन नदी है हर पल बहेंगे
ऊंचा होगा जग में तेरा भाल
मझधार में तू नाव संभाल ।
पहले समझ क्या है ? वक्त की चाल
उसके बाद जोर से ठोक अपना ताल
लडखडाये जो कभी पग तेरे जग में
तू खुदपे भरोसा कर खुदको संभाल ।
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