Samay | समय

person holding blue sand

समय मुठ्ठी में जैसे रेत

सूरज  चाँद  की  बातें

सुबह – शाम  की छोर

कौन रहता किस ओर ?

 

कई सपनों  की  बुनियाद

कभी याद कभी फ़रियाद

शतरंज की  जैसे  विशात

कहीं  शह  तो कहीं  मात ।

 

समय -समय की अपनी बात

कभी धुआँ तो कभी है  राख

नदियों  की बहती  रेंगती रेत

बिखरे हुए यादों की अवसाद ।

 

मानसून का जुआ सरीखा

उम्मीदों की पहली किरण

तपती रेगिस्तान का प्यास

अंकुरित बीजों सी आशा ।

 

नदियों सा बहता पानी

इसकी अपनी कहानी

पहियों सा घूमता रहा

सुख – दुःख में झूलता ।

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