ज़रा धीरे धीरे चल सफर अभी है बाकी
पैमाना भरके छलका दे गम ऐ साकी ।
सपनों और मंजिलों को फतह करना है
ये रास्ता तो जिंदगी की है एक झांकी ।
साकी पैमाना भरते वक्त ये मत पूछना
तेरी ख्वाहिशें और कितना अभी है बाकी ।
ये जाम तो बस एक अंजाम का जाम है
बाद में लोग समझेंगे यह क्या पैगाम है ?
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