Rah – E – Dahar / राह ए – ए- दहर

देख रहा हूं या हमें कोई दिखा रहा है 

खुद से समझा या कोई समझा रहा है 

 

सुन रहा खुदको या कोई सुना रहा है 

देखा जो सच है या कोई बता रहा है 

 

पूछ रहा हूं सवाल उसपे होता है क्यों बवाल ?

खुद से पूछ रहा हूं या कोई मुझसे पूछवा रहा 

 

कहते हैं सभी आते हैं इस जहां में अकेला

फिर  कैसे ?  क्यों ? मुझमें सब समा रहा 

 

कोलाहल है अंदर भी,  बाहर भी इतना 

ढूंढता हूं खुदको मैं कहां-कहां बचा रहा ?

 

बांट डाला हमको रिश्तों के राह -ए- दहर में

ढूंढता रहा खुदको हर एक शहर के सहर में 

 

Comment

There is no comment on this post. Be the first one.

Leave a comment