प्रश्नों के बाण मार – मार
अपने मन को दे झंकार
खोज जगत – जीवन का सार
किस बात का करता इंतजार ।
बना चक्ष्यु के व्यूह
माया के भेद चक्रव्यूह
मथ प्रज्ञा के सागर
सत्य के परतों को उभार ।
बता धर्म की सच्ची परिभाषा
जीवन की क्या है अभिलाषा
भौतिकता में जिसे छुपाया है
कर उस सत्य को उजागर ।
खोजना स्वयं में है आगर
तूभी है विचारों का सागर
बहा दे अपनी विचारधारा
एक हो जाएं जग सारा ।
कल्पना को अपनी दे उड़ान
स्वयं से देते रहना इम्तिहान
भ्रम के बादल छटते जाएंगे
सदा साथ में रखना विज्ञान ।
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