याद आती है याद जाती है
कभी हंसाती है कभी रुलाती है
याद आती है ……….
तन्हाईयों में ही अक्सर बनके तूफां उठ जाती है
यादों की फिर हवाएं सरसराके बहा ले जाती है
याद आती है ………..
बनके बिजलियां कभी ये चमक जाती है
कभी काली घटा बनके ये बरस जाती है
याद आती है ……….
नदियों की तरह बहती हैं ये
कहीं रुकती, कहीं मुड़ती है ये
झरनों की तरह गिरते हैं हम
करके कल- कल अंतस में धंस जाती है
याद आती है ………….
बह चला है यह बनके दरिया
जीने का है ये अब तो जरिया
छोड़ना नही कुछ चाहता है दिल
अब तो यादों को ना उठाई जाती है
याद आती है ………….
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