Parivartan | परिवर्तन

 

हमने वक्त को बदला 

वक्त ने हमको बदला 

चला अदला बदली का खेल 

कभी पास तो कभी फेल ।

 

आईना जब देखा अर्शेबाद

खुदको पहचानना था मुश्किल 

समय की रफ़्तार में गिरफ़्तार

क्या जीत है ?,  क्या हार ?

 

वक्त को भी वक्त पर  बदलते 

सूरज को उगते, चलते, ढलते

उजालों में अंधेरों को भी पलते 

अंधेरों में उजालों को संभलते ।

 

देखा मैंने बदलते रंगों के रंग 

कल  दुश्मन थे आज हैं संग 

संग -संग में  देखा होते जंग 

लोगों के होश के  उड़ते रंग  ।

 

हमने वक्त को वक्त पे बदलते 

देखा उजड़े को बसते- बसते 

बसे हुये को उजड़ते- उजड़ते

कुम्हार को मिट्टी के नए रूप गढ़ते।

 

 

पौधे को बढ़ते बीज बनके बिखरते 

फूल बनके खिलके हँसते संवरते

मौसम को कई रूपों में बदलते 

एक नियम के फेरा में ही फिरते ।

 

Comment

There is no comment on this post. Be the first one.

Leave a comment