यूं तो पंखुड़ियां सुखी हैं
पर भाव अभी भी है हरे
इस आपाधापी जीवन में
मिलते कई जख्म रोज हमें
उन जख्मों को यह भाव भरे
यूं तो पंखुड़ियां सुखी हैं
वक्त बहुत बीत चला
वह खुशबू है अभी भी जेहन में
कितनी आंधियां चली
कितने सैलाब आए
कलियां उसकी हर रंग भरे
यूं तो पंखुड़ियां सुखी हैं
फसे निराशा के भवँर जब
यादों से दरिया पार करे
यू तो पंखुड़ियां सुखी हैं
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