पंख मेरे होते तो मैं उड़ जाती
उड़ – उड़ के मीठे फल खाती ।
नीले नभ से नीचे देख नजारा
जग की सुंदरता मैं बतलाती ।
पार सरहदों के मैं जाती
मानवता का संदेश सुनाती ।
प्रेम का गीत सदा मैं गाती
पंख मेरे होते तो उड़ जाती ।
उड़के सपनों के आसमान पर
बैठ किसी डाली पर इठलाती
Comment