नि:शब्द हूं
स्तब्ध हूं
समझाने वाला
मौन हो गया
कैसे कहूँ ….?
मेरा क्या -क्या ..…?
खो गया …..
स्थूल था
मूर्त था जो
सूक्ष्म अदृश्य
अमूर्त हो गया
राह में बाधाएं
मुश्किलें बनी
तब मेरा साहस
किया आपने
दो गुनी…
किंकर्तव्यविमूढ़ था जब
आपने राह बताया
उसको मैंने चुना
सपनों का संसार बुना
अब किसके पास
जाऊंगा पूछने
कौन बताएगा ?
ये रास्ता सही या गलत है
वह दुनियाँ कैसी है
जहां सभी अच्छे लोग
चले जा रहे हैं ?
क्या स्वर्ग में भी ….. ?
अच्छाई की कमी होगई
निःशब्द हूँ ……
यह सब सोच के…
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