मैं जीना सीख रहा हूँ
सामने हैं मेरे कई प्रश्न
नए सिरे से फिर उतर
सोचके मैं लिख रहा हूँ ।
अधिकांश सवाल उसके
मेरे जीवन शैली को लेके
सुविधाभोगी विलासिता
दोहन की थैली को लेके ।
कई रिसर्च में सामने आया
मेहनत को जीवन का सार
पसीने को प्राण दवा बताया
इनको मैं फिरसे पढ़ रहा हूँ ।
बिगड़ चुके थे मेरे आदत
नए आदतों से सुधर रहा हूँ
स्वार्थों के दोहन थैली को
नये शैली से फेंक रहा हूँ ।
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