नयापन
सदा नयापन महसूस करता हूं
बिखरता हूं हरदम फिर भी
टूट के टुकड़ों- टुकड़ों में
विश्वास के सहारे जुड़ता हूं ।
नयापन ……..
बिखराव ,ठहराव ,पड़ाव
भरे हैं कुछ, हैं कुछ घाव
खुद को अद्भुत पाता हूं
गिर कर भी धरा पर
अंबर को छू जाता हूं ।
नयापन ……..
वक्त की दरिया है बहती
हर बार कुछ नया कहती
धड़कनों से नया सुनता हूं
सपनों के नए धागे बुनता हूं
नए राहों को चुनता हूं ।
नयापन …….
हंसता हूं , गाता हूं
पिघलता हूं, रोता हूं
दो छोरों के बीच बहते
हरदम नया होता हूं ।
नयापन …….
है दर्द में भी राहत
नए जीवन की आहट
दर्द में खुदको खोजता हूँ
खुद में आफताब पाता हूं ।
नयापन ……
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