Nai jivanshaili | नयी जीवनशैली

aerial view of people walking on raod

छद्म आधुनिकता की होड़ 

सब जगह होता तोड़फोड़

क्षीण होता मानवीय मूल्य 

जीवन हो रहा वस्तु तुल्य

जीवन का होता अवमूल्यन 

दिखाई देता ज्यादा विचलन

नई जीवनशैली का वर्चस्व 

बेलगाम दौड़ते मन के अश्व 

उपभोक्तावाद, बाजारवाद 

जग  के  हैं  सारे  फसाद 

उत्पादन बढ़ाने पर जोर 

गुमनामी की बढ़ती शोर

भोग की आकांक्षाएं गगनचुंबी 

व्यक्ति केंद्रकता में सब घूमती 

हो  रहा  मानव  विग्रह 

निरापद नहीं रहा कोई 

दिग्भ्रमित हो रही जनता 

उन्मत्त विस्फारित समाज  

है संस्कृति भग्नता की ओर …….

आतंक से आक्रांत घोर………

विवाद बाजारवाद से खड़े  

मूल्य हमारे  बर्बाद किये 

राजनीति  में बाजार और

बाजार में राजनीति जड़ दिए

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