Nadiyan | नदियां

body of water surrounded by trees

उत्तुंग शिखर बीहड़ नीरव

होता उद्गम मध्यम- मध्यम

आगे बढ़ना सीखा चलना

उतरा प्रबल कर कल- कल ।

 

भरी जवानी मैला- कुचेला

बिखेरा किनारे गाद- गाद

जल निर्मल हो शीतल

फसल होते रहे आबाद  ।

 

टेढ़ा – मेढ़ा रास्ता अख्तियार

परवाह नहीं कोई ओर- छोर

हो शांत गंभीर कहीं जोर-शोर

बहता रहता नित भाव विभोर।

 

कितने जीवन पलते अंतस

जाने  क्या- क्या  समाया ?

कहां से आया कहां जा रहा

क्या  खोया ?, क्या  पाया ?

 

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