Meri Duniya

 

 

मेरी दुनिया मेरे ही आसपास बिखरी पड़ी है 

 

ढूंढ रहा हूं सबको जोड़ने वाली कहां कड़ी है ?

 

देखते आ रहा हूं बहुत से तबाही का मंजर 

 

यहां बहुत हैं पीठ  पीछे  मारने वाले खंजर 

 

हद तो तब हो गई इस जहां देखके में यारों 

 

पीछे मुड़कर देखा तो वह मुस्कुरा के खड़े हैं 

 

कहने को अब किसी से शिकायत है ही नहीं 

 

यह मत पूछना हमें, हम खुद से कैसे लड़े हैं ?

 

खुद में  खुदको खोजना है सबसे बड़ी खोज 

 

पर सबसे बड़ी बाधा अपना मन छलता रोज 

 

Comment

There is no comment on this post. Be the first one.

Leave a comment