वो मेरा स्कूल वो स्कूल की आवाजें
कानों में गूँजती है मन कुछ ढूढ़ती है ।
याद आते हैं वो सारे के सारे मित्र
मन में घुल जाता एहसासों का इत्र ।
मैं यहां हुं जाने वे अब होंगे कहाँ कहाँ ?
अब तो यादों का बस चलता है कारवां ।
कहीं किसी मोड़ पे मिलेंगे किसी तरह
जाने होंगे कैसे? किस तरह से जिरह ?
कभी किसी से मुलाकात होगी आखिर
फिर एक नई शुरुआत होगी मुसाफिर ।
उम्मीदों का दामन नही छोड़ा अब भी
जिंदादिली से ही तो जिंदा है रब भी ।
आज भी यादों में रोज स्कूल जाता हूँ
सबको देखता मुस्कुराते खुदको पाता हूं ।
Comment