मेरा छोटा सा गांव वो पीपल की छांव
चिड़ियों का बसेरा सुनहरा सवेरा
सखियों का मिलना और मुस्कुराना
वो पनघट की ठांव ।
मेरा छोटा सा गांव……….
कोयल की बोली वो हंसी और ठिठोली
कव्वे का बुलाना वो मेहमानों का आना
मेलों का लगना वो सजना सवरना
यहां खेले सभी अपने जीवन का दांव ।
मेरा छोटा सा गांव …….
मिट्टी की खुशबू जीवन का जुस्तजू
हंसते गाते सदा मुस्कुराते अपनेपन के लिए आरजू
हलधर के हल से लहराता फसल
यहां दिखता है जीवन बिल्कुल असल
हर कोई खेता अपनी जीवन का नाव ।
मेरा छोटा सा गांव………..
वो सावन के झूले वो अमराइयाँ
बच्चों का रोना वो रुठना मनाना
मां की लोरी वो बच्चे का सोना
चंदा को मामा कहके बुलाना
बच्चों को ठग के वो खाना खिलाना
मुस्कुराते दौड़ते भागते वो नन्हे से पांव ।
मेरा छोटा सा गांव ………..
पवन की चलती वो पुरवाईया
जीवन में लाती है अंगड़ाइयां
तितलियां पकड़ने दौड़ते भागते
नन्हे पांव चले हांफ्ते हांफ्ते
खिलखिलाते रहते इनके हावभाव
मेरा छोटा सा गांव …………..
रेत में सीखते रेखाएं खींचते
लड़ झगड़ के सब कुछ सदा भूलके
मुस्कुराते हैं वह नन्हे फूल से
वो आम इमली जामुन की छांव ।
मेरा छोटा सा गांव……..
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