मैं परमवीर कहलाऊँगा
लाख गोलियां खाकर भी सीने में मैं दहाडुंगा
कर मृत्यु का तांडव दुश्मन के सीना फाड़ दूंगा
तेज, प्रबलता, गति के लिए मां का तिलक लगा लूंगा
आन बान शान के लिए खुद मिट मां का मान बचा लूंगा
लाख गोलियां खाकर ………..
हूं भगत ,आजाद ,बिस्मिल का रक्त मैं
सूर्य सा हो रोशन अपना तेज बढ़ा लूंगा
संजो कर रखा है जिन वीरों को हृदय में
उनको आज जगाऊंगा
महाराणा का बन भाला शिवा का शौर्य
दिखलाऊंगा
लाख गोलियां खाकर …….
भेद चक्रव्यूह दुश्मन के रण में ऐसा रक्त बहाऊंगा
हो विकराल बन के काल दुश्मन का दिल दहलाऊंगा ।
लाख गोलियां खाकर ………
हो बलिदान देश धर्म पर अपना वचन निभाऊंगा
मां मत रोना तुम कभी मैं परमवीर कहलाऊंगा ।
लाख गोलियां खाकर……
कफन तिरंगे का ओढ़कर रंगों में रंग जाऊंगा
जवां दिलों की धड़कनों के रग में बह जाऊंगा ।
मां मत रोना तुम कभी मैं परमवीर कल आऊंगा
लाख गोलियां खाकर ……..
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