लोग कुछ भी कहें पर मैं जिंदा हूँ
जो कुछ भी किया है मैंने अब तक
उस पर हरगिज़ ना मैं शर्मिंदा हूँ
लोग कुछ भी कहें पर मैं जिंदा हूँ ।
मेरे निर्णय को मुझे सही ठहराने हैं
मुझे कई बार खुदको आजमाने हैं
क्या हूँ मैं ? करके यह दिखलाने हैं
निकल पड़ा हूँ खुदसे राह बनाने हैं ।
यायावर हूँ, रिंद हूँ नदी सा मैं बहूँ
जग में कुदरत का एक कारिंदा हूँ
आसमान में उड़ने वाला परिंदा हूँ
लोग कुछ भी कहें पर मैं जिंदा हूँ ।
लोगों के तानों से ताक़त लेना जानता हूँ
तेरा आजमाने से मुझे शुकुन मिलता है
इम्तिहान का आईना भी जरूरी है यारों
जीने का हरदफ़ा एक जुनून मिलता हैं ।
खुदपे यकीन ना करो तो ये दुनियां तुम्हे मार देगी
यकीन जो खुदपे करके दिखाओगे यही जान देगी
ये दर्द ही तो है जो सिप के अंतस में मोती बनते हैं
जो पालना नही जानते आग को वही जलते हैं ।
अपनी करनी पे जो कुछ किया अब तक
अब बताओ तुम भी क्या ? शर्मिंदा हो
साबित करो यहां खुदसे कुछ करके यारा
लोग कुछ भी कहें तुमको पर तुम जिंदा हो।
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