मासूम निगाहें देखती अपलक
लिखने पढ़ने की है उनमें ललक
निगाहों से वे कुछ प्रश्न पूछते
जो अंतर्मन में हरदम गूंजते
चारों तरफ है सन्नाटा
उत्तर उन्हें मैं क्या बताता ?
उत्तर उन्हें मैं क्या बताता ?
हैरत की नज़रों से उन्होंने मुझे देखा
देखके उनको मैं हैरत में पड़ गया
मंगल पहुंच गए जीवन की खोज में
जंगल में जीवन अभी भी हैरत में है
चारों तरफ़ है सन्नाटा
उत्तर उन्हें मैं क्या बताता ?
उतर उन्हें मैं क्या बताता ?
बियाबान भी सुन रहा सुनसान
जिंदगी नही है इतनी आसान
भाग जाता है हर आने वाला नया
कैसे बनाऊं यहां अपनी पहचान
चारों तरफ़ है सन्नाटा
उत्तर उन्हें मैं क्या बताता ?
उतर उन्हें मैं क्या बताता ?
कई प्रश्नों का उत्तर खोज रहा
कर्मो का नया बीज बो रहा
देखके सब कुछ जागा हुन मैं
अबतक ना जाने कहाँ सो रहा
चारों तरफ़ है सन्नाटा
उत्तर उन्हें मैं क्या बताता ?
उतर उन्हें मैं क्या बताता ?
आशाएं हैं आँखों में होटो पे मुस्कान है
आधुनिक सभ्यता से दूर हैं अनजान हैं
ना सड़क है, ना बिजली है, ना पानी है
यहाँ बस प्रकृति ही इनपे मेहरबान है
चारों तरफ़ है सन्नाटा
उत्तर उन्हें मैं क्या बताता ?
उतर उन्हें मैं क्या बताता ?
सरहदों पे फौजी अपना फर्ज निभा रहा है
सोचा वो भी अपना दर्द कैसे बांट रहा है
वतन, अमन के वास्ते तिरंगा लहरा रहा है
लोग मुझे पूछते आपको यहां भा रहा है
चारों तरफ़ है न सन्नाटा
उत्तर उन्हें मैं अब बताता ?
उतर उन्हें मैं अब बताता ?
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Literature PoemJuly 5, 2021
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