सूरज को उगते डूबते देखता लाल
मेरे मन में भी उठते हैं कई सवाल ?
यह उगता – डूबता कैसे है ?
क्या जन्म – मृत्यु जैसे है ?
सूरज को उगते डूबते देखता लाल
मेरे मन में भी उठते हैं कई सवाल ?
अस्त – उदय का अविरल फेरा
कालचक्र का शाम – सवेरा …..
नियति नियम से है चलता
कर्मवृक्ष से है सब फलता
सूरज को उगते डूबते देखता लाल
मेरे मन में भी उठते हैं कई सवाल ?
सूर्य को ग्रहण क्यों लगता है ?
चांद रात को कैसे निकलता है ?
चातक क्यों देखे एकटक चांद ?
उसको बात भला क्या खलता है ?
दिन – रात मन में ये सब चलता है
क्या इन सबके नियम कायदे हैं
जगत को इससे क्या फायदे हैं ?
सूरज को उगते डूबते देखता लाल
मेरे मन में भी उठते हैं कई सवाल ?
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