अपनी कोठरी से निकल
देख समझ संसार सकल
पुष्पित, फलित तेरे प्राण
पास ना होगा कोई त्राण …
संशय से प्रश्न जब उठे मन में
क्लेश, अशांति हो जीवन में
नित खोज तु सत्य को सर्वदा
टल जाएगी जीवन की विपदा …
चारों तरफ दिखे अंधकार
खुदको गहराई में दे उतार
ढूंढता रह जीवन का सार
मिलेगा जगत को अवतार …
मन में होगा अटल विश्वास
जगत को होगा ये आभास
बन जितेंद्रीय खोल ज्ञान द्वार
जोड़ जीवन – मृत्यु का तार …
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