Jindagi ki daud

आगे आके सोचता हूँ कहां हूं

सब जगह लगता तन्हां तन्हां

दिल की सुनु की  दिमाग की 

अजीब  कशमकश  है  अभी 

दिल धड़कता है कुछ कहता 

हंसता – रोता धड़कता रहता  

किसको सुनु ,मैं किसको चुनु

जिंदगी जीना भी है एक जुनूँ

दिल – दिमाग का जब द्वंद्व हो

चैन से  कोई  कैसे सो सकता

दिल साथ ना दे तो क्या होगा 

दिमाग काम  न करे तो फिर 

दिल के बिना  धड़कन  बंद है

दिमाग के बिना जिंदगी तंग है

दोनों  में  जब  होता  जंग  है

खो जाते  सभी  चैनों उमंग है 

सुनो दोनों को देखो क्या गौण

दौड़ो जिंदगी के पल पल दौड़

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