Jan gan man | जन गण मन

flag hanging on pole

जड़ से जल तो ऊपर जाता 

बाकी का समझ नहीं आता 

जड़ को जो है मिलना 

पता नहीं कहां जाता 

 

ऊपर वाला है अनजान 

नीचे की जाती है जान 

बीच में होता खेल महान 

वाह रे मेरे हिंदुस्तान 

 

गंगा ऊपर से निकलती है 

प्रबल वेग से चलती है 

सुने कानों से अमृतवाणी 

प्यासों को ना मिलता पानी 

 

कौन ,कहां, क्यों ,कैसे छलता ?

वंचितों को कुछ  नहीं  मिलता 

जनता  प्यारे  भोले-  भाले 

जीवन जीने को पड़े है लाले 

 

दिग्गज गज गज नाम रहे 

सब कुछ खुद है छाप रहे 

जनता उनको ही ताक रहे

साल की गिनती गिन रहे ।

 

संवेदी सूचकांक में क्या संवेदना है ?

आम आदमी की क्या वेदना है ?

इन  प्रश्नों से  व्याकुल है अंतर्मन 

विषमताओं से जूझता जन -गण -मन ।

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