जबले आइस बादर करिया
किसान के मन होंगे हरिया
मेचका मन ह टर्राये लागिन
लबालब भरे देखके तरिया ।
भुईयां ला फेर सजाये बर
दुनियां के भूख मेटाय बर
रुख़राही ला पानी पियाए बर
सवनाही गीत फेर सुनाये बर ।
करिया घांटा पानी धर लाये
नदी नरवा सबो खलखलाये
खुशी मनाये संगी जहुरिया
जबले आइस बादर करिया ।
धान – पान हर भरपूर होवे
भूखके मारे कोन्हों नई रोवे
सब मनखे खुशहाली मनावे
जबले आइस बादर करिया ।
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