हर उम्र की दुनियां अलग होती है
कभी बड़ी तो कभी छोटी होती है ।
छोटी – छोटी खुशियों की मालाओं सी
हँसाने वाली तो कभी रुलाने वाली होती है ।
छोटी खुशियाँ बड़ी खुसी में कहीं खो जाती है
उस पल दुनियां क्यों ? अलग सी हो जाती है।
कई सपनों के बीज भी बोती है
कहीं तुफानों में खो जाती है ।
आशाओं के कई दीप जलाये रख
अँधियारों में जगमगाती रहती है ।
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