हमने देखे थे जो सपने
टूट गए सारे वो अपने
चली थी एक ऐसी आंधी
साथी थे जो छूटे अपने
हमने देखे ……..
तिनका -तिनका जोड़के हमने
बनाया था वह घोंसला
बिखर गए एक पल में सारे
टूट गया सब हौसला
हमने देखे ………
याद आती है हमको वो पल
जीवन में थी जिनसे हलचल
झिलमिल- झिलमिल झिलमिल- झिलमिल
अंधेरों में जलता जैसे जुगनू हो
हमने देखे थे जो ……….
कहती है सांसें उठ -उठ के
आज नहीं तो कल होगा
अंधेरों के साए में ही
उजालों का कोई हल होगा
हमने देखे थे जो………
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