हम थे मिल जुलके
हम थे मिलजुल के लोगों ने हमें बाँट डाला
खींची रेखाएं उन्होंने दिलों को काट डाला ।
हम थे मिलजुल के …….
जानते नहीं यह बांटने वाले
हमने खुद को कैसे संभाला ।
हम थे मिलजुल के ……
इंसा है हम इंसा हैं वे इंसानियत का गला फिर
हमने क्यों घोंट डाला
हम थे मिलजुल के ……..
अलग-अलग हैं रास्ते खुदा से मिलने के वास्ते
फिर खुदाई को क्यों मार के
लोगों ने खुदा को बांट डाला
हम थे मिलजुल के ……….
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