हंसना था जब हंसे नही जो
बेवजह आज उनको हंसते पाया
छुपा रखे थे जो खुदको चेहरों में
उनको तन्हा बैठे रोते पाया ।
हंसी के पल में हंसना तुम
गम में खुद को खोज लेना
प्रवाह न करना किसी की
चाहे कोई कहे तुम्हें दीवाना ।
हँसें नही जो जानके उस वक्त
कुदरत ने जब हंसाया सबको
मुखौटों में कहीं गुमशुदा हैं वो
खुद से भी आज जुदा हैं वो ।
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