यही कोई 3:00 बज रहे होंगे दोपहर का समय था, दिनांक 12 /04/ 2022 था। आप अप्रैल माह से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में इस समय गर्मी कितनी पढ़ती है । हवा पूरा गर्म हो चुका था। तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के साथ सब राहगीरों की परीक्षा ले रहा था । उस समय में श्यामा ने संजय से कहा ऑफिस जाना है हमें । संजय हां कहते हुए तैयार होकर गैस कार्ड में आधार कार्ड जुड़वाने के लिए 20 मिनट में आ रहा हूं कह निकल गया । फोन करके बोला इतने में तुम तैयार रहना।
गैस एजेंसी में उक्त काम कर वापस घर आया तो वह समझ गया कि क्या हाल होने वाला है । श्यामा तैयार थी संजय को सफेद गमछा बांधने को दी पर वह हेलमेट लगा लूंगा नहीं लगेगा कह रख दिया । हेलमेट व चश्मा लगाकर दोनों निकल पड़े ऑफिस के लिए । हवा सनसन – सनसन करके चल रही थी । धूप ऐसे लग रहा था जैसे चीख रही है । वातावरण एकदम गरम हो गया था । फिर भी दोनों बात करते आराम से जा रहे थे । रास्ते में कहीं- कहीं गुलमोहर की मुस्कान कलेजे को राहत दे देती। करीब 4:00 बजे के आसपास ऑफिस पहुंचे वहां भी धूप के कारण सभी शांत होकर अपना काम कर रहे थे ।
काम जिसके लिए आए थे, उन सबको कर लिया फिर घर की वापसी हेतू वे निकले । रास्ते में कुछ ही दूरी पर संजय ने कुछ पीने की बात की। गरमी का समय था पानी शरीर से तुरन्त बहार निकल आ रहा था। श्यामा ने गन्ना रस पीते हैं बोली तभी संजय ने एक ठेला के पास गाड़ी धीमा किया जहां गन्ने के अंदर लाल- लाल देख कर यहां नहीं ठीक नहीं है श्यामा बोल उठी उसको देख विचलित होकर । अब संजय रफ्तार बढ़ाते आगे बढ़ा फिर श्यामा ने एक ठेला बताया पर संजय देख उसे मदिरालय के पास है कह स्पीड धीमा नहीं किया ।
इस पर श्यामा ने कहा तुम तो पूर्वाग्रह से ग्रसित हो ।
अब पीना ही है तो फिर क्यों ऐसा सोच रहे हो ?
तभी संजय ने कहा तुम ठीक कह रही हो हमको उससे क्या लेना देना ?।
फिर गाड़ी को पीछे घुमा कर वह वहां ले गया और रोक कर देखा गन्ना बहुत ही सुंदर था । तभी वह उस दुकानदार को दो गिलास गन्न रस पीलाने को कह बातें करने लगे ।
गन्ने को देखकर श्यामा ने कहा लगता है गन्ना यही स्थानीय है, संजय ने भी उसे देखकर कहा हां मुझे भी लगता है । यहां कहां अंबिकापुर वाला मिलेगा या कोई लायेगा। पर गन्ना को चरखा में लगा चुका दुकानदार ने कहा अंबिकापुर वाला ही है । दोनों अचरज से भर गए । तभी आवाज को सुनकर दुकानदार कि संजय ने उसको बड़े गौर से देखा और पुछा आप सेमरी से है क्या ? । इस पर दुकानदार ने हां मैं उत्तर दिया । दुकानदार ने भी संजय से कहा आप संजय सर हैं क्या सर जी ? । संजय ने हाँमी भरते हुये पुछा तुम तो रमा, रश्मि व साधना के बैच में पढ़ रहे थे ना । उसने हां में सर हिलाया। संजय ने पूछा फिर पढ़ाई कहां तक कीया है इस पर वह निराश होकर कहने लगा छोड़िए सर हमारा । यह कहते थोड़ा शिथिल हुआ । इस पर संजय ने कोई बात नहीं जीवन में उतार चढाव तो चलता रहता है। काम कर रहे हो यही सबसे बड़ी बात है। तुम्हारा नाम मुझे याद नहीं है यार संजय ने कहा। दुकानदार ने अपना नाम गणेश बताया फिर हां हां ठीक याद आया ।
गणेश ने कहा सर पॉलिटेक्निक किया हूं परंतु कोविड-19 में सब तहस-नहस हो गया एक फैक्ट्री में (स्पंज आयरन जहां बनता है) जा रहा था पर कोविड-19 आया फिर बाबू जी की तबीयत खराब हुई और उनका देहांत हो गया। फैक्ट्री बन्द हो गयी सारे इनकम की सोर्स बंद हो गए फिर जिम्मेदारी ने घेर लिया और मुझे यह दुकान खोलना पड़ा । संजय ने सुन कर कहा देखो वक्त हम सबकी परीक्षा लेता है । मैं भी भले ही आज उच्च पद पर हूं पर जीवन की कठिन परीक्षा के दौर में आलू, प्याज, टमाटर बाजारों में बैठ कर बेचा हैं। उस समय से पास होकर निकला हिम्मत कभी नहीं हारा । अपने काम को कभी हीनता से नहीं देखा मैने भले ही कोई कुछ भी कहे इसकी परवाह मैंने कभी नहीं की। तुम बढ़िया काम कर रहे हो स्टार्टअप के साथ यह अच्छी बात है । आत्मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ो अवसर जरूर मिलेंगे आगे बढ़ने के। यह सुनकर वह खुश होकर रस पिलाया । श्यामा ने उसकी कीमत देते बोली अपने काम को लगन से करते रहना । उन्होने गणेश के भाव में आत्मविश्वास को देखें और जा रहे हैं यार कह दोनों वहां से घर के लिए निकल पड़े।
गन्ना रस दोनों पी रहे थे तभी संजय ने उस गांव से जुड़े उन सभी लड़के लड़कियों के बारे में जिसे उसने पढ़ाया था, एक-एक कर पूछ लिया –
कौन क्या कर रहा है ?
कैसे है ?
गणेश को भी पूछा शादी तुम्हारा हो गया क्या ?
गणेश हां कहते हुए एक बेबी भी है बताया ।
रास्ते में चलते समय संजय ने कहा आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है । श्यामा इसको सुनकर कहने लगी मुझे धन्यवाद दो आप तो भाग रहे थे छोड़कर। हंसते हुए संजय बहुत-बहुत धन्यवाद श्यामा, फिर् दोनों खुशी से हंसने लगे। संजय बोला सच में श्यामा मैं तो पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर आगे बढ़ आया था । तुम्हारे आग्रह ने ही मुझे मुड़ने पर मजबूर किया और अपने सुनहरे अतीत के फसलों के बीज को आज वर्तमान में लहराते देख पाया । बहुत खुशी हो रही है मुझे आज । गणेश पहले स्लो लर्नर था । पर वह विद्यालय में सदैव नियमित रहता । आज देखो वह जीवन की असल परीक्षा में भी बैठ कर कड़ा परीक्षा दे रहा है । मुझे पूरा विश्वास है कि वह निश्चित रूप से बेहतर ढंग से सफल होगा। संजय अपने संघर्ष के दिनों को याद करने लगा और श्यामा को बताया कि –
वह भी इस दौर से कैसे गुजरा है ?
कैसे परीक्षाएं दी है ?
कैसे कर्म को प्रधानता देते हुये विश्वास बनाये रखा ?
श्यामा भी उसको सुनकर संजय का साथ दे रही थी । अब रास्ते की गर्मी यादों के बर्फ के आगे घुटने टेक चुके थे । उन दोनों को गर्मी का अब कोई एहसास नहीं रहा ।
संजय ने कहा सच में मेरा शिक्षक की जीवन सबसे शानदार पड़ाव रहा है मेरे जीवन का। मुझे पढ़ाने में जितना आनंद आता या मिलता है किसी और कार्य में नहीं। इसीलिए मैंने इस विभाग को चुना। एक शिक्षक के कार्य बीज जो वह अतीत में बोया रहता है सही ढंग से तो जब वह वृद्ध हो चला रहता है तब वे लहराते उसको यत्र- तत्र आज की भांति गणेश के रूप में मिलते रहते हैं जो मन को सुकून और शांति देते हैं। संजय ने श्यामा से कहा श्यामा जानती हो एक बार कि मैं गणेश से बात करने के दौरान उस युवा प्रयोग धर्मी संजय से मिलकर भी आ गया जिसने गणेश को अच्छी तरह से समझते हुए शिक्षा दिया था । वह बहुत मुस्कुरा रहा है यह सब देखकर । गणेश गन्ने के रस को निकाल रहा था और वह गणेश के अंदर ज्ञान की शिक्षा की धारा पहले ही बहाया है जो बहुत ही फलदाई है वह मेरे मेहनत की उपज है उसके विश्वास एवं कर्मठता से मैं बेहद खुश हूं आज।
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