शौर्य, संजीव व मानस तीनों ग्रैंड माल के सामने एक ठेला में भेल पुरी व झालमुड़ी खा रहे थे । खाते हुए वे तीनों ठहाका लगा रहे थे। तीनों आज मस्त थे, बड़े दिनों बाद एक साथ शाम को मिले हैं, ठंड का महीना है, गुलाबी ठंड सबके मन को गुलाब की तरह खूबसूरत एवं शराबी बना रही थी। तीनों माल से कुछ कपड़े मानस के लिए खरीदने उसके पसंद को देखकर खरीदी कर रहे थे। संजीव को बहुत प्यास लग रही थी वह दोस्तों को जल्दी करने को बीच-बीच में आग्रह करता रहता पर उसकी बातों पर वह दोनों हंस रहे थे। ख़रीदारी करने के बाद कुछ खाने की सोचे। तीनों ठेला के पास पहुंचे फिर संजीव ने अपनी प्यास बुझाई और तभी उसके कलेजे को ठंडक मिली । सच है प्यास लगने से पानी, भूख लगने से खाना का मिठास व कीमत बड़ जाती है तथा उसकी अहमियत का पता चलता है। पहुंचकर ऑर्डर देकर बात करने लगे इसी बीच संजीव ने जस्सी के गुणों को याद कर उसे अपने दिल में छुपाए रखा ।
ठेले वाले ने पहले झालमुड़ी बना के तीनों को दिया फिर वह उसे खाने में मशगुल हो गए बातें करते करते तभी मानव ने संजीव को सहसा कान में कहा मुझे जस्सी की याद आ रही है मुझे भी यार संजीव बोला, इस पर तीनों भावुक हो गए फिर तीनों बातें करते हुए ठहाके लगाकर हंसने लगे। इसमें संजीव और शौर्य ज्यादा ठहाके लगा रहे थे, तभी मानस सामान को वहीं पर रखी एक सायकल पर रखते हुये कहा भाई सामान को लेने के लिए याद दिलाना यहां रखा है । तभी वह हंसा और शौर्य को बताया जिस पर मानस भी हंस पड़ा । शौर्य गणित का अच्छा जानकार है वह तुरंत मजाकिया अंदाज में कहा ₹30 के बेल के चक्कर में ₹ 3000 भूलने पर यह भेल तेरे को ₹1000 का पड़ेगा और अपनी हंसी वह रोक न पाया फिर सभी खिलखिलाके हंस पड़े । तभी संजीव ने कहा कि तुझे इस भेल से नफरत हो जाएगी, झालमुड़ी से एलर्जी और तू भूल नहीं पाएगा कह के ठहाके लगाने लगे। तभी मानस ने संजीव से कहा कि ज्यादा मत हंसों बे ठेला में मौजूद और लोग क्या सोचेंगे ? अधिकतर ऐसे सवाल शौर्य किया करता है पर शौर्य व संजीव आज अलग ही रंग में नजर आ रहे थे , ऐसे लग रहा था जैसे जिंदगी जीने का नया नजरिया पा लिया हो ।
तभी संजीव मानस को देखकर कहा यह हंसी बहुत कीमती है, देखो भाई सबसे बड़ी दवा है हंसना, इसीलिए सभी को हंसना चाहिए दूसरों की हंसी को देखकर या उसमें शामिल होकर। आज की इस भागमभाग जिंदगी में यह पल मुश्किल से मिलते हैं भाई इसीलिए जी लेने दो । कल का क्या भरोसा ? परंतु कुछ लोगों को ज्यादा जलन होती है दूसरों की हंसी देखकर, वह खुद भी हंसना नहीं जानते हैं। हंसी जीवन का सबसे ऊर्जा दायिनी स्रोत है, एक ध्यान है जो हमें ताजगी देता है, सृजनात्मक बनाता है। खुशी से हम जो भी काम करते हैं उसके सफलता के आसार बड़ जाते हैं , इससे एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है जिसमे सभी सहज महसूस करते हैं अपने आपको। सुनकर शौर्य ने सही कह रहा है यार कह कहने लगा एक बात याद रखो हम सभी एक बस में सफर कर रहे हैं न जाने कौन ? कहां पर ? उतारा जाए फिर मिलना एक साथ मुनासिब नहीं होगा जीवन में। इस हंसी के बीच में उसने इतनी बड़ी बात कह दी जिसे संजीव ने तुरंत समझ लिया और कहा एकदम सही कहा मेरे दोस्त । तीनों जस्सी को जो उनका दोस्त था, उसे खो चुके थे, उसके गुणों को याद ही अब कर सकते थे, उससे मिलना अब सच कहा हो सकता था । वह कोविड-19 की दूसरी लहर में जिसमे डेल्टा वेरिएंट ने मायावी छल कर आर टी पी सी आर टेस्ट में भी पकड़ से कभी – कभी दूर हो जाया करता था, 14 अप्रैल 2021 को चल बसा इस दुनिया से और अपने सभी लोगों को अलविदा कह दिया ।
संजीव ने कहा हम चाह कर भी जस्सी के साथ अब हंस नहीं सकते जो भी है हमारे पास केवल उसकी यादें हैं बस और कुछ नही । वह हमें बहुत कुछ सिखा गया है। इसके पहले हम जिंदगी के प्रति इतने संजीदा नही थे जितने अब हुए हैं। संजीव ने बोला पर एक बात है हमारा बस में सफर करने के दौरान उसको कैसे जीना है ? इस पर अधिकार है ,यह हम कह सकते हैं। इसमें किसी का हस्तक्षेप नहीं है पूरा दारोमदार हमारा ही है जो कुछ भी हम करते हैं यही कर्म की सीढ़ी भी ।
परंतु हमें वह कहां ?
किस तरह ?
क्यों ?
किस घढ़ी ?
उतार देगा , किसी को नही मालूम । वह मालिक है जिस पर हम एतराज नहीं कर सकते । यह हमारे अधिकार में नहीं है। तभी शौर्य ने कहा हां एकदम सही हम ऐसे क्रिकेट मैच खेल रहे हैं
जिसमे ओवर कब खत्म होगा ?
कितना ओवर का है यह मैच ?
मालूम नहीं पर जिंदगी के हर एक ओवर को आखिरी और निर्णायक समझकर हमें खेलना चाहिए आनंद के साथ यादगार बनाने के लिए । यही जिंदगी का फलसफ़ा है ।
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