देख संगी बसंत आगे
संरसों के फूल पीयूरागे
अमराईया म देख संगी
आमा ह सुघ्घर मौरागे
सबो कति मधु महमहागे
देख संगी …
लाली – लाली परसा, सेमर के फूल
चारो कोती म आगि कस बगरागे
कोयली ह छेड़त हे सुरता के तान
सुनले संगी अउ सुनले मोर मितान
सब दुखला अपन संगी ह बिसरागे
देख संगी …
गॉंव – बखरी, खेत – खार, जंगल के
झरराथे सब्बो रुख़राही अपन पान
छोकरा – छोकरी एक- दूसर ला भागे
देख बर – बिहाव के समय घलो आगे
सब दुखला अपन संगी ह बिसरागे
देख संगी …
फागुन के गुन ह भारी हे मोर संगी
चारो कोती म रंग फागु ह मतागे
मन हर संगी नवा पान कस उल्हागे
रंगागें संगी सब्बो बसंत के रंग में
दुख- दरद ला अपन के बिसरागे
देख संगी …
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