जल रहा हूं दीपक की भाँति
जानता हूं एक दिन बुझ जाऊंगा ।
अंधेरा तू कितना भी घना होजा
तेरे सामने हरपल मुस्कुराउंगा ।
बुझ जाऊंगा तो क्या हुआ साथी
एक दीपक नया खुदसे जलाऊंगा ।
यूँ सिलसिला सदा चलता ही रहेगा
उम्मीदों का दीपक जलता ही रहेगा ।
रोशन होती रहेंगी गुलशन मुझसे
रहूँ जहां अंधेरी रात भी मुस्कुराएगा ।
Comment