Deepak | दीपक

white ceramic bowl on brown wooden table

जल  रहा  हूं  दीपक  की भाँति

जानता हूं एक दिन बुझ जाऊंगा ।

अंधेरा तू  कितना भी घना होजा 

तेरे  सामने   हरपल  मुस्कुराउंगा ।

बुझ जाऊंगा  तो  क्या हुआ साथी 

एक दीपक नया  खुदसे जलाऊंगा ।

यूँ सिलसिला सदा चलता ही रहेगा  

उम्मीदों का दीपक जलता ही रहेगा ।

रोशन  होती  रहेंगी  गुलशन मुझसे

रहूँ जहां अंधेरी रात भी मुस्कुराएगा ।

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