चाँद – चाँद सुनो ना ……….
मुझे अंधेरों से डर लगता है
पर जब तुमको देखता हूं तो नई
तुम रात को सबसे बड़े हो क्या ?
कितने सारे नन्हें मुन्हे तारे ….
जगमगाते सभी पास तुम्हारे ……
दिन में सूरज के साथ भागते
रात में हम सब सोते तुम जागते
है ना चाँद…………………
चाँद – चाँद सुनो ना ………..
तुमको गणित आता है ना
जोड़ – घटाव तुम अच्छे से जानते हो
मुझे भी आता है थोड़ा -थोड़ा
तुम छोटे बड़े कैसे हो जाते हो
मुझे भी जल्दी बड़ा बनादो ना
सब मुझे छोटू छोटू कहते हैं
तुम कभी जल्दी तो कभी देर से आते हो
क्या तुम भी कमाने बहुत दूर जाते हो ?
चाँद! यही बात है ना …
तुम्हारे भी दामन में दाग है
तुम्हें लोग चिढ़ाते हैं क्या ?
मेरे कपड़ों में दाग लग जाये तो
डांट खाना पड़ता है मुझे
बाकी सभी चढ़ाते हैं
मेरा साथ तुम मत छोड़ना
संग- संग मेरे तुम भी दौड़ना
रात को जल्दी आना
फिर बातें करेंगे ………
है ना चाँद …..
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