भावों से शब्दों का सृजन है
शब्दों से है भावों की बौछर
भावों से मन सिंचित होता
अनुभूतियों की बहती रसधार।
मानव मन भावों की खान
उत्तर भावों की गहराई जान
समझ अभिव्यक्ति कौशल
खिलता इससे नभ जल थल।
बहे भावों की सरिता कलकल
मानस पटल पर होती हलचल
शब्द भावों के बीज, वृक्ष,फल
भावों में है छिपा जीवन सकल।
भावों से ही हैं सब प्राणी जीवित
प्रेम, दया, करुणा से है सिंचित
अहंकार,क्रोध,घृणा,भय से निंदित
भावनाओं से ही चल रहा है संसार।
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