अपने ही अपनों पर जब आफत बन जाए
लगता है जीवन में और क्या पाएं ?
भरोसे का आशियाना तब जलता है
बनके दरिया आँखों से आंसू बहता है ।
फरेब की महफिल जब सजती, सँवरती है
चकाचौंध में सबको सच कहा दिखता है ?
बात यह और भी तब अखरती है
जब फ़रेबी दुनियां और चमकती है ।
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