बेटा मैंने तुझमे खुदको इस तरह समेटा
तू जब आया जग में खुदको नया पाया ।
देखा पहली बार तूझे तू बना जीवन रेखा
तुझमें खुदको फिर नया अपने को देखा ।
तूने मुस्कुराया सारा जहां उसमें समाया
तेरे बचपन में खुद का बचपन भी देखा ।
माँ ने जो था मुझको बताया, समझाया
तुझको अपना जीवन आधार बनाया ।
तेरे जिद के आगे घोड़ा हांथी मैं बनता
कर सवारी तू जीवन का सपना रचता ।
प्रश्न तू जब – जब पूछे मुझे, उत्तर देके
नए अरमानों के धागे मैं तेरे संग बुनता ।
तेरे तोतली बोली, हंसी ठिठोली सुनता
जिज्ञासाओं से भर नए राहों को चुनता ।
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