बनेगें हम ऐसा समंदर
सब नदियां आएंगी अंदर ।
माना जीवन खारा होगा
पर संसार हमारा होगा ।
समंदर है काले मेघों की जान
है सारे रत्न व मणियों की खान ।
जलधि कभी न प्यास बुझाया
लहरों से पर सबको हर्षाया ।
उष्णता लेकर वह वाष्पित होता
संग हवा हर तरफ बहता रहता ।
जरूरत जहां वहां गिर जाता सदा
गिरकर अस्तित्व को फिर से पाता ।
होके मिठास बादलों के संग साथ
बुझाता प्यासी धरती का प्यास ।
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