अदृश्य आदतों के जंजीरों पर
जन्मा विकसित हो रहा खड़ा
रिश्तो के बुनियाद में सब कुछ
भाव से अपने आदतों को जड़ा 1.
हम इसे बनाते है ये हमें बनाते
पहुंच गए कहां से कहां निभाते
हालात बदलते आदतें बदली
आदतें बदलते ही बदले हालत 2.
दुखों में पता चला कौन है साथ
आसां नहीं सम्भालना ॹॹबात
जिंदगी एक शतरंज की विशात
खोजता अपनी क्या है औकात ? 3.
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