ऊंचा लंबा चढ़ान नहीं आसान
लेता रहा हौसलों का इम्तिहान……
राह ताके अटा घन घोर अंधेरा
चलके आएगा कब तक विहान ……..
सुनसान बियाबान पथरीले राह
पथिको के लेता रहता है थाह………
ऊंचे ऊंचे साल दृश्य वाह – वाह
इनके पास आके काफुर है आह………..
चढ़ान के बाद ही आता है ढलान
यह सोचते जान में आती है जान………..
हर समस्या का कहीं होता है हल
चल ढूंढ चल हरपल चल ढूंढ चल………..
नदी की तरह अनवरत बहता चल
पाले राह अपनी जीवन होगा सफल………
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