इसी तरह मिलते हैं अमूमन वह लोग
जो तानों में ही अक्सर बातें करते हैं ।
बहुत ही कम दिखाई देते हैं वह लोग
जो कानों में या पीठ पीछे बात करते हैं ।
चंद ही होते हैं इस जहां में वह लोग
हमेशा जो आपको बेदाग करते हैं ।
तानों वाले हमें तो ताकत देते हैं
वह ताकत जिसे सोचा नहीं होता
संभालना हमारा मुश्किल होता है
संभालो तो उनका जीना मुश्किल ।
गहरा जख्म तो पीठ के पीछे ही मिलता है
सामने तो असल दोस्त या दुश्मन मिलता है ।
कितने रिश्ते , व्यक्तित्व तबाह हो गए
जो समझ न पाये क्या है कानाफूसी में ?
परिपक्वता जब दस्तक देती है तो समझ आता है
ध्यान, मौन व हंसी से ही आगे की सुध मिलता है ।
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